View All Due Date - IT || Due Date - IT || Due Date - GST || Filing of SPL-01/ SPL-02 where payment made through GSTR 3B and other cases || Advisory on filing of Amnesty applications under Section 128A of the CGST Act || Due Date - GST || System Validation for Filing of Refund Applications on GST Portal for QRMP Taxpayers || Due Date - GST || Order u/s 119(2)(a) of the Income-tax Act,1961 regarding processing of returns filed u/s 139 of the Income-tax Act, 1961 beyond the prescribed time limit || Barring of GST Return on expiry of three years || Advisory regarding non-editable of auto-populated liability in GSTR-3B || Due Date - IT || Due Date - IT || Due Date - IT || Extension of due date for furnishing return of income for the Assessment Year 2025-26 || CBDT extends date of filing of Income Tax Returns (ITRs) due for filing by 31st July 2025 to 15th September 2025 || Due Date - GST || Due Date - GST || Attention - Advisory on reporting values in Table 3.2 of GSTR-3B || Due Date - IT || Advisory on Appeal withdrawal with respect to Waiver scheme || Due Date - GST || Due Date - GST || Due Date - GST || Updates in Refund Filing Process for Recipients of Deemed Export ||

GST

Narendra Sharma
Advocate M: 9415127075
Durga Prasad
Advocate
N: 9235718726 9/76,
Arya Nagar, Kanpur
e-mail : narendra.adv.@rediffmail.com
Website : www. narendrasharmgandcompany.co.in

GST : Inspection, Search and Seizure

व्यापारी आदि को क्या करना उचित है?

 

किसी भी समुदाय के लोगों में उक्त तीनों में से किसी एक शब्द का प्रयोग चाहे वे सुशिक्षित हो या अनपढ़ कुतूहल पैदा करता है, क्योंकि उक्त तीनों में एक या उससे अधिक कार्यवाही का आशय यह है कि केन्द्र या राज्य सरकार के किसी विभाग द्वारा, जिसे संसद या विधायिका द्वारा अधिकृत किया गया हो, ने इस विश्वास के अन्तर्गत कि जिस परिसर/व्यक्ति/वाहन के संबंध में उक्त में से कोई कार्यवाही की जा रही है, में उस अधिनियम के अन्तर्गत अनुचित कार्य हुआ है/हो रहा है, अतः उक्त में से कोई कार्यवाही अपेक्षित है।

औपचारिकताएँ एवं अपेक्षायें :

अधिनियम की धारा 67(10) यह प्रावधान करती है कि तलाशी व अभिग्रहण के संबंध में दण्ड संहिता प्रक्रिया (Criminal Procedure Code, 1973) की धारा 165 के प्रावधान यथाशक्य लागू होंगे।

व्यापारी से अपेक्षा :

हमें यह स्पष्ट समझ लेना चाहिये कि सामान्य रूप से कर संबंधी सभी प्रावधानों में कुछ करने का दायित्व करदाता पर निर्धारित होता है किन्तु यह स्थिति Cr.P.C की धारा 165 के सम्बन्ध में नहीं है क्योंकि Search और Seizure व्यक्ति के मौलिक अधिकार का हनन न हो यह ध्यान रखना अत्यावश्यक है।

1.
वह इस बात को जानने का प्रयास करे कि क्या अन्वेषण करने वाला अधिकारी सक्षम अधिकारी द्वारा प्राधिकृत है?
   
2.
उक्त अन्वेषण के संबंध में निर्देश देने वाली अधिकारी के पास ऐसे कोई उचित आधार थे जिनसे यह धारणा बनायी गई, क्या इन्हें लेखबद्ध किया गया है?
   
3.
जो सर्वेक्षण नोट तलाशी लेने वाले अधिकारी द्वारा संबंधित व्यक्ति या व्यापारी को दिये गये उनमें तलाशी प्रारम्भ करने व समाप्त करने के समय का स्पष्ट उल्लेख है?
   
4.
यदि माल रखने के स्थल की तलाशी ली गई तो ऐसी तलाशी दल के किस-किस अधिकारी ने ली, क्या अभिलेखों में यह स्पष्ट है?
   
5.
जॉच प्रारम्भ होने और समाप्त होने के समय के आधार पर क्या कागज/माल के संबंध में यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि उन्हें सम्यक रूप से तौला या गिना गया, वे मात्र Eye Estimate नहीं है?
   
6.
यदि व्यापारी के अनुसार उसके कथन को सम्यक रूप से दर्ज नहीं किया गया है या स्टाक के संबंध में जो दर्ज किया गया है तो यथासंभव उसी दिन या अगले दिवस में इसका लिखित प्रतिवाद संबंधित अधिकारी या उसके उच्चाधिकारी तक भेजना चाहिए।
   
7.
Cr.P.C की धारा 165 इसी कोड की धारा 100 का भी उल्लेख करती है और तद्नुसार Search के मामले में दोनो धाराओं को साथ-साथ पढ़ा जाना उचित होगा।
   
8.
सर्वेक्षण प्रारम्भ करने के पूर्व और सर्वेक्षण के दौरान जिसमें अभिग्रहण शामिल है, संबंधित अधिकारी से यह बाध्यकारी अपेक्षा है कि वह अधिनियम की धारा 67(10) के प्रावधानों का सतर्कता से पालन करेगा अर्थात क्या तलाशी लेने वाले अधिकारी ने तलाशी के पूर्व स्वतंत्र एवं निष्पक्ष गवाह की व्यवस्था की यदि नही तो क्या ऐसा करने के कारण का उल्लेख किया?
   
9.
माल के वजन, नग आदि के संबंध में सर्वेक्षण अधिकारी ने जो अंकन किये हैं उनसे व्यापारी संतुष्ट है? यदि नहीं, तो उसे निर्धारित तिथि की प्रतीक्षा न करते हुए अनले कथन को बल प्रदान करने वाले सभी अभिलेख उत्तर के साथ संलग्न करते हुए तत्काल संबंधित अधिकारी को भेज देने चाहिये। ऐसा इसलिये भी करना उचित है कि निर्धारित तिथि पर संभवतः अधिकारी उपलब्ध न हो, तब अपनी उचित बात समय के अंदर न रखने का दण्ड व्यापारी को उठाना पड़ सकता है।
   

10.

यदि सर्वेक्षण अधिकारी ने लेखापुस्तकों और पाये गये माल के अंतर के संबंध में जो अंकन किया है वह व्यापारी के अनुसार सही नहीं है, तो उसे तत्काल इसका प्रतिवाद उन बाध्यकारी परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए, उक्त अधिकारी के वरिष्ठ अधिकारी को करना चाहिए।
   
11.
मौके पर उपस्थित व्यक्ति के बयान के कथनानुसार अंकन है या नहीं? यदि नहीं, तो अविलम्ब अंकन की त्रुटियों का उल्लेख करते हुए लिखित सूचना उच्चाधिकारी को देनी चाहिए।
 

वस्तुतः ऊपर किये गये उल्लेख व्यक्ति को संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार तथा स्वतंत्र रूप से व्यापार करने के अधिकार का है। संविधान यह भी प्रावधान करता है कि राज्य इन अधिकारों पर उचित नियंत्रण लगा सकता है। इस प्रकार के प्रावधानों की वैधानिकता की पुष्टि माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों ने समय-समय पर की है।

 
* Commissioner of Commercial Taxes and others, Vs Ramakrishan Jhaver and others State of Kerala (20 STC,454 S.C.)
* M/s. Harikishandas Gulabdas and Sons and another vs. The State of Mysore and Another (1971, 27 STC 434)